कौन थे पाकिस्तान के मदरसे में मारे गए हमीदुल हक हक्कानी, क्या था बेनजीर भुट्टो की हत्या से नाता
February 28, 2025 | by Deshvidesh News

पाकिस्तान खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के नौशेरा के अकोरा खट्टक में स्थित दारुल उलूम हक्कानिया में हुए आत्मघाती धमाके में पांच लोगों की मौत हो गई. इस हमले में 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं. मरने वालों में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई) के समीउल हक धड़े के प्रमुख मौलाना हमीदुल हक हक्कानी भी शामिल हैं. लवो 57 साल के थे. वो नेशनल असेंबली के सदस्य भी रह चुके थे. खैबर पख्तूनख्वा के स्वास्थ्य विभाग के सलाहकार एहतेशाम अली के मुताबिक पेशावर, मर्दन और नौशेरा के सभी अस्पतालों में आपातकाल लगा दिया गया है. सभी स्वास्थ्य केंद्रों को सतर्क कर दिया गया है. अभी तक किसी भी समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.
क्या कहना है पुलिस का
पुलिस के अनुसार, घटनास्थल पर आत्मघाती हमलावर और अन्य के शरीर के हिस्से पाए गए हैं.उन्होंने बताया कि बम निरोधक दस्ते की टीमें वहां से सबूत जमाकर रही है. इसके बाद से ही हमले की प्रकृति और इस्तेमाल किए गए विस्फोटक के बारे में बताया जा सकेगा.अकोरा खट्टक खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर से दूरी करीब 60 किमी है.
खैबर पख्तूनख्वा के आईजी जुल्फिकार हमीद ने पाकिस्तानी मीडिया को बताया कि यह विस्फोट शुक्रवार की नमाज के बाद हुआ. उन्होंने बताया है कि हमलावर का निशाना जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (समीउल हक धड़े) के प्रमुख और मदरसे के प्रशासक मौलाना हमीदुल हक थे. हमीदुल हक के पिता समीउल हक की दो नवंबर 2018 को पंजाब प्रांत स्थित उनके पैतृक निवास स्थान पर चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी.
हमीदुल हक हक्कानी नवंबर 2002 से 2007 तक पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य भी रहे. अपने पिता समीउल हक की नवंबर 2018 में हुई हत्या के बाद जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (एस) के प्रमुख बने थे.सुरक्षा एजेंसियों का कहना पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की स्थापना में समीउल हक का प्रमुख हाथ था.समीउल हक के मदरसे दारूल उलूम हक्कानी से ही तालिबान के कई बड़े नेताओं ने शिक्षा हासिल की थी. इनमें तालिबान नेता अमीर खान मुत्ताकी, अब्दुल लतीफ मंसूर,मौलवी अहमद जान, मुल्ला जलालुद्दीन हक्कानी, मौलवी कलामुद्दीन, अरिफुल्ला आरिफ और मुल्ला खैरुल्लाह खैरवाह के नाम शामिल हैं.
क्या बेनजीर भुट्टो की हत्या में भी था हाथ
हमीदुल हक हक्कानी समीउल हक के सबसे बड़े लड़के थे. वो जेयूआई-एस के प्रमुख थे. वो जामिया दारूल उलूम हक्कानी के कुलपति भी रह चुके थे. पिछले साल अफगानिस्तान गए धार्मिक नेताओं के एक समूह का नेतृत्व हमीदुल हक ने किया था. इस धार्मिक कूटनीति बताया गया था. अफागानिस्तान दौरे पर हमीदुल हक ने तालिबान के बड़े नेताओं से मुलाकात की थी.इस यात्रा के बाद उन्होंने कहा था कि इस यात्रा ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच गलतफहमियों की कम किया है. हालांकि ऐसा होता हुआ नजर नहीं आया. दोनों देशों के सेनाओं ने एक दूसरे की सीमा में घुसकर हमले किए. इन हमलों में दोनों तरफ के कई लोगों की जान गई थी.
दारूल उलूम हक्कानी की वेबसाइट के मुताबिक मदरसे की स्थापना मौलाना अब्दुल हक हक्कानी ने भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद सितंबर 1947 में की थी. पाकिस्तान के अखबार ‘डान’ के मुताबिक पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टों की हत्या में इसी मदरसे के छात्रों का नाम आया था. लेकिन मदरसे ने इसमें किसी भी तरह से शामिल होने से इनकार किया था. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई) जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के साथ समझौता किया था. पीटीआई ने पख्तूनख्वा में सरकार चलाई थी.
ये भी पढ़ें: पाकिस्तान में ‘फादर ऑफ तालिबान’ के बेटे का भी वही अंजाम, मस्जिद में किए गए फिदायीन हमले में हक्कानी की मौत
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