कश्मीर के गांव में ये कैसी बीमारी, पूरा गांव क्वारंटाइन, फिर भी थम नहीं रही आफत
January 23, 2025 | by Deshvidesh News

जम्मू-कश्मीर के राजौरी में इन दिनों एक रहस्यमयी बीमारी (Jammu Mysterious Illness) का खौफ है. इस बीमारी से अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है. ये बीमारी है क्या, कोई नहीं जानता. यह बस एक रहस्य बनी हुई है, जिससे लगातार लोग बीमार पड़ रहे हैं. ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. क्या बच्चे और क्या बड़े, हर कोई इसकी चपेट में आ रहा है. हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि राजौरी के बडाल गांव में कंटेनमेंट जोन बनाने की नौबत आ गई. अब यहां पर भीड़ के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी गई है. गांव में पिछले 44 दिनों में 3 परिवारों के 17 लोगों की मौत से हाहाकार मचा हुआ है. 5 लोग अब भी अस्पताल में भर्ती हैं.
रहस्यमयी बीमारी के लक्षण क्या हैं?
अस्पताल में भर्ती मरीजों को तेज बुखार आ रहा है. उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है और उनमें बेहोशी भी देखी जा रही है. मोहम्मद फजल नाम के एक शख्स की 7 दिसंबर को इस बीमारी से मौत हो गई थी. अब उनकी साली की तीन बेटियों की हालत भी बिगड़ गई है. उनको इलाज के लिए जम्मू रेफर किया गया है. बडाल गांव के बिगड़ते हालात को देखते हुए क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं, जिनमें 60 से ज्यादा लोगों को भेजा गया है.

(जम्मू के राजौरी में रहस्यमयी बीमारी से पीड़ित लोग)
राजौरी के बडाल गांव में अब तक क्या हुआ?
- जम्मू के राजौरी में रहस्यमयी बीमारी से 17 मौतें
- डेढ़ महीने में 13 बच्चों समेत 17 लोगों की मौत
- बडाल गांव में बने तीन कंटेनमेंट जोन
- बीमारों के संपर्क में आए 60 से ज्यादा लोग नर्सिंग होम में रखे गए
- पूरा बडाल गांव हुआ क्वारंटाइन
- अब भी लगातार लोग पड़ रहे बीमार
- वायु सेना के हेलीकॉप्टर से 3 बच्चे जम्मू रेफर, एक गंभीर
- सीएम उमर अब्दुल्ला ने किया गांव का दौरा
- ADGP और मंडलायुक्त ने गांव का दौरा कर जाने हालात
कहां-कहां बने कंटेनमेंट जोन
पहला कंटेनमेंट जोन- उन घरों को कवर कर रहा है, जिनमें मौतें हुई हैं. इन घरों को पूरी तरह से सील कर दिया गया है और यहां आवाजाही पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. इन घरों में रहने वाले लोगों को कहीं भी जाने से पहले अधिकारियों की परमिशन लेनी होगी.
दूसरा कंटेनमेंट जोन- उन लोगों को रखा गया है, जो रहस्यमयी बीमारी से प्रभावित लोगों के संपर्क में आए हैं. इन लोगों को सरकारी मेडिकल कॉलेज में रखा गया है. उनकी हेल्थ पर लगातार डॉक्टर्स की नजर है.
तीसरा कंटेनमेंट जोन- गांव के सभी परिवार रखे गए हैं. इनके खाने-पीने पर मेडिकल स्टाफ लगातार नजर बनाए हुए है. इनको खाना-पानी देने की जिम्मेदारी इसी स्टाफ की है. पुलिस टीम भी इन पर नजर रखे हुए है.

(राजौरी में फैली रहस्यमयी बीमारी)
बीमार मरीजों के बारे में जानिए
जीएमसी मेडिकल सुपरीटेडेंट डॉ. शमीम अहमद ने बतया कि दिसंबर महीने से गांव के तीन परिवारों के 17 लोग रहस्यमयी बीमारी की चपेट में हैं, इनमें छह छोटे बच्चे भी शामिल हैं. लगातार लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. पांच लोगों को शुरुआत में सीएचसी कंडी में भर्ती कराया गया था, जहां से गंभीर रूप से बीमार 25 साल के आजाज खान को एयर एंबुलेंस की मदद से बुधवार को पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया. जबकि उसकी तीन छोटी बहनों को जीएमसी राजौरी में रेफर किया गया. फिर सेना के हेलीकॉप्टर से उनको जम्मू एयरलिफ्ट किया गया. वहीं पांचवें मरीज को CHC कंडी से GMC राजौरी भेज दिया गया.
उमर अब्दुल्ला ने मृतकों के लिए पढ़ा फातिहा
बडाल गांव में 7 जनवरी से 19 जनवरी के बीच संदिग्ध तरीके से मौतें हुईं. अब तक ये पता नहीं चल सका है कि ये जानें गईं कैसे. प्रशासन पूरी तरह से एक्टिव है. गांव में कंटेनमेंट जोन बना दिया गया है. वहीं सीए उमर अब्दुल्ला भी हालात जानने गांव के दौरे पर पहुंचे. वह मंगलवार को उन शोक संतप्त परिवारों से मिले, जिन्होंने अपने 13 बच्चों समेत 17 सदस्यों को पिछले डेढ़ महीने में रहस्यमयी परिस्थितियों में खो दिया. अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, उमर अब्दुल्ला ने कब्रिस्तान जाकर मृतकों के लिए फातिहा भी पढ़ा.

(राजौरी में फैली रहस्यमयी बीमारी)
राजौरी में 17 मौतों की वजह क्या है?
हैरान करने वाली बात ये है कि अब तक ये पता नहीं चल सका है कि इतनी बड़ी संख्या में हुई मौतों की वजह आखिर है क्या. क्यों कि जांच में कोई भी बीमारी सामने नहीं आई है. जम्मू-कश्मीर सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि जांच और नमूनों से साफ संकेत मिला है कि मौतें बैक्टीरिया या वायरस फैसले वाली किसी भी बीमारी की वजह से नहीं हुईं और इसका कोई जन स्वास्थ्य पहलू नहीं है. अब सवाल ये है कि मौतों के पीछे की वजह है क्या.
केंद्रीय टीम इस रहस्यमयी बीमारी की जांच कर रही है. GMC राजौरी के चीफ शुजा कादरी ने बताया कि जांच टीम ने खाने-पीने की चीजों के 200 से ज्यादा सैंपल लेकर जांच के लिए अलग-अलग जगहों पर भेजे हैं. ताकि ये पता लगाया जा सके कि खाने की चीजों में तो कोई जहरीला पदार्थ नहीं था.
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