ईसाईयों के एपिफनी मनाने की परंपरा का वीडियो महाकुंभ से जोड़कर हो रहा वायरल
February 23, 2025 | by Deshvidesh News

CLAIM वीडियो में देखा जा सकता है कि महाकुंभ को देखने के बाद कुछ ईसाई अपने धर्म में भी इस तरह के आयोजन करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं.
FACT CHECK बूम ने पाया कि महाकुंभ से प्रेरित होकर इसाई धर्म के लोगों का पानी में डुबकी लगाने का दावा गलत है. वायरल वीडियो ईसाई धर्म के उत्सव एपिफनी के दौरान का है, जिसमें ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन ईसा मसीह के जॉर्डन नदी में हुए बपतिस्मा की याद में जलाशय में डुबकी लगाते हैं.
सोशल मीडिया पर एक पादरी के झील में डुबकी लगाने का एक वीडियो वायरल है, जिसके साथ दावा किया जा रहा है कि महाकुंभ को देखने के बाद कुछ ईसाई अपने धर्म में भी इस तरह के आयोजन करने के लिए प्रेरित हुए हैं. बूम ने पाया कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत है. वीडियो में दिखने वाले पादरी ईसाई धर्म के उत्सव एपिफनी (Epiphany) के तहत ईसा मसीह के जॉर्डन नदी में हुए बपतिस्मा (Baptism) की याद में जल में डुबकी लगा रहे हैं.
बपतिस्मा ईसाई धर्म का एक संस्कार है, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘पानी में डुबकी लगाना’. इसमें बपतिस्मा लेने वाले शख्स को थोड़े समय के लिए पानी के अंदर रखा जाता है या उसके सिर पर पानी की बूंदें छिड़ककर ईसाई चर्च का सदस्य बनाया जाता है. इस दौरान अक्सर उसे औपचारिक रूप से एक नाम भी दिया जाता है.
वायरल वीडियो में एक पादरी को एक जलाशय में उतरते देखा जा सकता है. जलाशय के आसपास खड़े लोग इसको रिकॉर्ड करते भी नजर आ रहे हैं. फेसबुक एक यूजर ने अंग्रेजी कैप्शन के साथ वीडियो को शेयर किया और दावा किया, ‘महाकुंभ को देखने के बाद, कुछ ईसाई अपने धर्म के लिए एक समान आयोजन करने के लिए प्रेरित हुए. नतीजतन, एक फादर ने एक झील में डुबकी लगाने का विचार प्रस्तावित किया और अगले साल से यह धर्म उस झील पर कुंभ मेले का अपना संस्करण शुरू करेगा.’ यूजर ने आगे लिखा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि इन व्यक्तियों में ईमानदारी की कमी है क्योंकि वे हमारे धर्मग्रंथों से हमारी पद्धति को अपनाते हैं फिर भी हमारी आलोचना करते हैं…. क्या यह प्रथा मूल बाइबिल में पाई जाती है, या “ईसाई कुंभ” के इस नए रूप को शामिल करने के लिए बाइबिल में बदलाव किया जाएगा.’ (अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद)

पोस्ट का आर्काइव लिंक
फैक्ट चेक इसकी पड़ताल के लिए सबसे पहले हम वीपीएन की मदद से वीडियो पर मेंशन टिकटॉक आईडी @danilescuandrei पर पहुंचे. वहां हमें 21 जनवरी 2025 का अपलोड किया हुआ यह वीडियो मिला, इसके कैप्शन में रूसी भाषा में लिखा था, “स्लोबोजिया शहर में एपिफनी का पर्व. 19-01-2025.”

इसके कमेंट सेक्शन में कई यूजर्स ने इसे ईसा मसीह के बपतिस्मा के पवित्र दिन का बताया था, जिसे ऑर्थोडॉक्स चर्च (Orthodox Church) हर साल मनाता.

इसके बाद हमने ईसाई धर्म में इस तरह की प्रथा के बारे में खोज की. इससे संबंधित हमें कई आर्टिकल मिले. बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया कि रूस और पूर्वी यूरोप के ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन ने ईसा मसीह के बपतिस्मा की याद में 19 जनवरी को एपिफनी पर्व मनाया और होली त्रिनिटी (Holy Trinity) के सम्मान में खुद बर्फीले पानी के गड्ढे में तीन बार डुबकी लगाई.

ऐसी मान्यता है कि यह परंपरा भक्तों को अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करती है और उनके पापों को धुलती है. एपिफनी के समय सारा पानी पवित्र हो जाता है. इस आर्टिकल में इस परंपरा से संबंधित तस्वीरें देखी जा सकती हैं. गार्डियन की एक रिपोर्ट में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इस प्रथा का निर्वहन करते दिखाया गया है. इसमें भी बताया गया कि एपिफनी मनाते हुए उन्होंने एक झील के बर्फीले पानी में डुबकी लगाई. इसमें यह भी बताया गया कि रशियन ऑर्थोडॉक्स परंपरा में एपिफनी के दौरान पादरी द्वारा आशीर्वादित पानी को पवित्र और शुद्ध माना जाता है.
यह पर्व ईसा मसीह के जॉर्डन नदी में हुए बपतिस्मा का प्रतीक है. इस संदर्भ में एक कैथोलिक पादरी ने भी बूम को बताया कि यह एक बहुत ही प्राचीन परंपरा है जिसका ऑर्थोडॉक्स पादरी पालन करते हैं. वे यीशु के बपतिस्मा के पर्व को मनाने के लिए एक जलाशय में डुबकी लगाते हैं. उन्होंने आगे बताया कि इसमें होली ट्रिनिटी- पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा को दर्शाने के लिए तीन बार डुबकी लगाते हैं.
यह खबर मूल रूप से Boom द्वारा प्रकाशित की गई थी, और इसे शक्ति कलेक्टिव के अंतर्गत NDTV ने पुनर्प्रकाशित किया है
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