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इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज के लिए एंटीबायोटिक उम्मीद की किरण, रिसर्च में सामने आई ये बात 

February 11, 2025 | by Deshvidesh News

इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज के लिए एंटीबायोटिक उम्मीद की किरण, रिसर्च में सामने आई ये बात

एक नए अध्ययन के अनुसार इंफेक्टरी दस्त के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एंटीबायोटिक एक प्रकार के इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी) के लिए प्रभावी दवा हो सकती है. ब्रिटेन के बर्मिंघम विश्वविद्यालय के रिसर्चर ने दिखाया कि वैंकोमायसिन नामक एंटीबायोटिक उन लोगों के इलाज में भी कारगर हो सकता है, जिन्हें एक खास तरह की आईबीडी है. यह प्राइमरी स्क्लेरोजिंग कोलांगाइटिस (पीएससी) नामक लाइलाज ऑटोइम्यून लिवर बीमारी के कारण विकसित होती है.

यह स्टडी क्या संकेत देती है?

क्रोन और कोलाइटिस जर्नल में प्रकाशित एक क्लिनिकल ट्रायल के हिस्से के रूप में इस दवा लेने के बाद, अध्ययन में शामिल पांच में से चार रोगियों ने रोगमुक्ति हासिल की. यह रिसर्च इंपोर्टेंट है, क्योंकि इस बीमारी से पीड़ित कई प्रतिभागियों ने अन्य आईबीडी ट्रीटमेंट पर रिएक्शन नहीं दिया.

इसके अलावा, आईबीडी और पीएससी का आपस में गहरा संबंध है. पीएससी से पीड़ित ज्यादा व्यक्तियों में आईबीडी विकसित होता है. इसके साथ ही आईबीडी से पीड़ित 14 प्रतिशत रोगियों में भी पीएससी विकसित होता है.

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क्या कहते हैं रिसर्चर्स?

बर्मिंघम विश्वविद्यालय के डॉ. मोहम्मद नबील कुरैशी ने कहा, “हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि वैंकोमायसिन आईबीडी और ऑटोइम्यून लिवर रोग के इस चुनौतीपूर्ण संयोजन वाले रोगियों के लिए एक नया थेरेप्यूटिक ऑप्शन प्रदान कर सकता है.”

साथ में, इस स्थिति ने कोलन सर्जरी की जरूरत को बढ़ा दिया. इसमें कोलन या लिवर कैंसर विकसित हो सकता है, जिसके लिए उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होगी. यह मृत्यु के जोखिम को भी बढ़ाता है.

टेस्ट के दौरान, पार्टिसिपेंट्स को चार हफ्ते तक ओरल एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज किया गया. इलाज के बाद लगभग 80 प्रतिशत रोगियों ने क्लीनिकल ​​छूट मिल गई.

उन्होंने सूजन संबंधी मार्करों में भी बड़ी कमी दिखाई और 100 प्रतिशत म्यूकोसल हीलिंग हो गई. हालांकि, जब 8 हफ्ते के बाद उपचार बंद कर दिया गया, तो लक्षण वापस आ गए.

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स्टडी में क्या सामने आया?

वैज्ञानिकों ने पाया है कि वैंकोमाइसिन नामक दवा कुछ पित्त एसिड में बदलाव ला सकती है. इन बदलावों का अध्ययन किया जा रहा है ताकि आईबीडी से जुड़े पीएससी रोग के इलाज को बेहतर बनाया जा सके.

टीम ने कहा, हालांकि रिजल्ट शुरुआती हैं, वे आगे के शोध के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करते हैं.

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