आदिवासियों को करोड़ों की संपत्ति दान कर साधु बना राजस्थान का यह शख्स, महाकुंभ में मिला महामंडलेश्वर का पद
January 30, 2025 | by Deshvidesh News

Mahakumbh Mela 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस वक्त महाकुंभ 2025 का मेला लगा हुआ है. बीती 13 जनवरी को शुरू हुए महाकुंभ में इस बार 40 करोड़ लोगों के आने की संभावना है. हाल ही में मौनी अमावस्या पर संगम स्नान हुआ था, जहां 7 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई थी. वहीं, 12 साल बाद लगे महाकुंभ में देश और विदेश से भी लोग आकर यहां साधु का भेष धर रहे हैं. इस वक्त पूरी दुनिया में महाकुंभ का शोर है और राजनेता से एक्टर्स और बिजनेसमैन से लेकर खिलाड़ी तक संगम में स्नान करने पहुंच रहे हैं. वहीं, कई लोगों ने मोहमाया त्याग महाकुंभ में अपने जीवन को भक्ति के लिए समर्पित कर दिया है. अब राजस्थान के एक शख्स ने अपनी सारी संपत्ति आदिवासियों के नाम कर महाकुंभ में साधु बनने का फैसला लिया है.
मोह माया छोड़ महाकुंभ में धरा साधु का भेष (Swami Hiteshwaranand Saraswati)
इस शख्स का नाम स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती है, जिन्हें प्रयागराज में महामंडलेश्वर की उपाधि से नवाजा गया है. यह उपाधि उन्हें माघ महीने में कृष्ण पक्ष की द्वादशी को दी गई है, जो हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. सनातन धर्म में शंकराचार्य के बाद दूसरा सर्वोच्च पद माना जाने वाला महामंडलेश्वर एक उपाधि है, जो अनुकरणीय सेवा और नेतृत्व का प्रदर्शन करने वाले आध्यात्मिक लोगों के लिए आरक्षित है. स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती सलुम्भर और सारेपुर से जुड़े हुए हैं और उनके महामंडलेश्वर बनने से पूरे मेवाड़ क्षेत्र में जश्न का माहौल है, स्थानीय लोग उनकी उपलब्धि पर खुशी और गर्व व्यक्त कर रहे हैं. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी अखाड़े ने उन्हें यह उपाधि प्रदान की है, जो उनके लिए एक ऐतिहासिक क्षण है.
स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती का बैकग्राउंड (Background of Swami Hiteshwaranand Saraswati)
पाली के सुमेरपुर के पास चाणोद में एक श्रीमाली ब्राह्मण परिवार में जन्मे स्वामी हितेश्वरानंद की मां हुलासी देवी केलवाड़ा के कुंभलगढ़ की रहने वाली थीं. ब्रह्मचर्य जीवन अपनाने के बाद, उन्होंने सांसारिक सुखों का त्याग कर दिया और 550 वर्ष से अधिक पुराने आध्यात्मिक संस्थान कटावला मठ के पीठाधीश्वर बन गए.
महामंडलेश्वर: मानदंड और जिम्मेदारियां (Mahamandaleshwar: Criteria and Responsibilities)
1. परिवार के सदस्यों से दूरी बनाए रखें, किसी से भी संपर्क के बाद अखाड़े से निष्कासन हो सकता है.
2. किसी भी चारित्रिक दोष या दोष से बचें.
3. आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों से जुड़ने से बचें.
4. विलासिता और अत्यधिक आराम की जिंदगी से दूर रहें.
5. मांस और शराब के सेवन से परहेज करें.
कब होगा महाकुंभ का समापन ? (When will Mahakumbh end?)
स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती का महामंडलेश्वर बनना उनके अनुयायियों, खासकर मेवाड़ के लिए बहुत गर्व का क्षण है. आध्यात्मिक सेवा के प्रति उनके समर्पण और समाज के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें महाकुंभ में उन्हें विशेष पहचान दिलाई है. बता दें, महाकुंभ का समापन 45 दिन बाद 26 फरवरी को होगा.
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