
इसे हाथी और चींटी की लड़ाई कह सकते हैं या शेर और मेमने की लड़ाई मान सकते हैं या पूर्व राष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन की लिखी कहानी अब्बू खां की बकरी को नए दौर की पटकथा के तौर पर देख सकते हैं… कहानी कोई भी हो, मामला ताकतवर और कमजोर के बीच का ही था और कहानियों की तरह कमजोर हारकर भी जीता हुआ नजर आ रहा है.
हम बात कर रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप के साथ यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की की गर्माहट से भरी बातचीत की, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. चर्चा राजनयिक शिष्टाचार और वेशभूषा की भी है. जिस पर केंद्रित एक सवाल भी चर्चा का विषय बन गया. ज़ेलेंस्की के अमेरिकी दौरे के दौरान एक पत्रकार ने उनसे पूछा की एक देश के राष्ट्रपति होने के बाद भी आप सूट क्यों नहीं पहनते. इसका जवाब ज़ेलेंस्की ने सधे हुए अंदाज़ में दिया कि युद्ध खत्म होगा तो वो भी अच्छा सूट पहनेंगे.
आखिर ज़ेलेंस्की सूट क्यों नहीं पहनते या पहनना नहीं चाहते?… ज़ेलेंस्की एक ऐसे देश के राष्ट्रपति हैं जो बीते करीब तीन साल से रूस के साथ युद्ध में उलझा हुआ है. इन तीन सालों में यूक्रेन के साथ काफी कुछ हुआ है. हालात ये बन गए हैं कि रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन को अपना 20 फ़ीसदी भूभाग खोना पड़ा है. साथ ही लाखों यूक्रेनी लोगों की मौत भी हुई है. देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. वैसे, कहने को लड़ाई तो यूक्रेन और रूस के बीच हो रही है पर असल में यह लड़ाई रूस से अमेरिका की अगुवाई में यूरोपीय देश ही लड़ रहे हैं. सब जानते हैं कि यूक्रेन में इतनी कूवत नहीं है कि वह हफ्ते भर भी रूस के सामने टिक सके. इन सबके बावजूद जेलेंस्की अमेरिका जाकर ट्रंप के साथ भिड़ गए और उसके बाद जो हुआ वह सबसे सामने है.
कॉमेडियन से राष्ट्रपति बने जेलेंस्की के पास ऐसा नहीं है कि सूट पहऩने के पैसे नहीं हैं, लेकिन वह ज्यादातर कॉम्बेट स्टाइल के कैजुअल ड्रेस में नजर आते हैं. अगर मीडिया रिपोर्ट की मानें तो उनकी संपत्ति 30 मिलियन डॉलर के आसपास है. राष्ट्रपति बनने से पहले जेलेंस्की एक अभिनेता और कॉमेडियन थे. उनकी एक प्रोडक्शन कंपनी थी. हालांकि, राष्ट्रपति बनने के बाद उसकी बड़ी हिस्सेदारी उन्होंने बेच दी. कहा तो यह भी जाता है कि उनके पास याट और प्राइवेट जेट भी हैं. शानदार इलाके में फ्लैट हैं और उनकी पत्नी के पास भी 2 मिलियन डॉलर की संपत्ति है.
हालांकि, ट्रंप के सामने जेलेंस्की की हैसियत कुछ नही है. मीडिया की खबरों के मुताबिक, ट्रंप की संपत्ति 6.9 बिलियन डॉलर के आसपास है. इसलिए हर जगह सवाल उठ रहे हैं कि इतने छोटे देश के राष्ट्रपति में इतनी हिम्मत कहां से आ गई कि वह दुनिया के सबसे ताकतवर राष्ट्रपति को खऱी खोटी सुना आए. व्हाइट हाउस के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि ओवल ऑफिस में किसी ने उनके राष्ट्रपति को इतना कुछ सुना दिया हो. जेलेंस्की का बैक ग्राउंड भी इतना मजबूत नहीं है, क्योंकि राजनीति में आने से पहले वह मंच या टीवी पर हास्य अभिनेता का किरदार निभाते थे. चुनाव से पहले उन्होंने यूक्रेन के लोगों को नये सपने दिखाए थे, पर अब हालात यह है कि जेलेंस्की की लोकप्रियता पहले जैसी नहीं रही. जेलेंस्की का राष्ट्रपति का कार्यकाल पिछले साल ही खत्म हो चुका है, लेकिन वे अभी भी अपने पद पर बने हुए हैं.
आखिर किसकी शह पर जेलेंस्की में इतनी हिम्मत आ गई? यह पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. असलियत यह है कि जेलेंस्की के पास अब खोने को कुछ भी नहीं है. रूस से युद्ध के कारण यूक्रेन लगभग बर्बाद हो चुका है. अब यूक्रेन की कोशिश है कि युद्ध विराम के जरिये रूस से खोयी जमीन फिर से हासिल करे, लेकिन जिस तरह से ट्रंप ने बाइडन के उलट यूक्रेन को लेकर फैसला लिया है, उससे जेलेंस्की ठगा सा महसूस कर रहे हैं. ऐसे में अगर जेलेंस्की ट्रंप के सामने खड़े नहीं होते तो उनको अपनी जनता को जवाब देना मुश्किल हो जाता. शायद अमेरिका को आंख दिखाकर वह अपने देश की जनता को साधने में लगे हैं.
डोनाल्ड ट्रंप के साथ जिस तरह की बातचीत ज़ेलेंस्की की हुई, ऐसा इससे पहले दुनिया ने नहीं देखा था. दुनिया का कोई भी देश अमेरिका जैसे ताकतवर देश की नाराज़गी मोल नहीं लेना चाहेगा. खुद, ज़ेलेंस्की भी ऐसा नहीं चाहते, इसलिए तुरंत बाद उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए ज़ाहिर किया कि अमेरिका का सहयोग उनके लिए ज़रूरी है, लेकिन ट्रंप के सामने ज़ेलेंस्की का अपनी बात पर अड़े रहना बेवजह नहीं था. वे रूस के साथ जारी युद्ध में यूक्रेन की स्थिति को मज़बूत रखना चाहते हैं और इसके लिए उन्हें बड़े देशों के समर्थन की ज़रूरत है. अब भले ही ट्रंप से बात न बन सकी हो, लेकिन ज़ेलेंस्की ब्रिटेन और फ्रांस का साथ पाने में कामयाब दिख रहे हैं. ब्रिटिश पीएम स्टॉर्मर ने ज़ेलेंस्की से मुलाकात के बाद सीज़फायर पर अहम बयान दिया है. सीज़फयर प्लॉन के लिए ब्रिटेन, फ्रांस और यूक्रेन सहमत हैं. अब इसे अमेरिका के सामने रखा जाएगा, लेकिन सवाल अब ये है कि डोनाल्ड ट्रंप से ज़ेलेंस्की की इस गरमागरम मुलाकात के बाद क्या अमेरिका अब भी यूक्रेन के साथ आएगा? रूस और यूक्रेन की इस लड़ाई का आखिरकार क्या अंत होगा या ज़ेलेंस्की के लिए चुनौतियां और बढ़ेंगी.
राजीव रंजन NDTV इंडिया के एसोसिएट एडिटर हैं…
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.
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